शैक्षिक

स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम: क्षयरोग एवं श्वसन रोगों में एम.डी. उपाधि पाठ्यक्रम (प्रति वर्ष एक अभ्यर्थी) का प्रारंभ वर्ष 1994 में हुआ था। वर्ष 2011 से क्षयरोग एवं श्वसन रोग पाठ्यक्रम का नाम बदलकर एम.डी (पल्मोनरी मेड्सिन) कर दिया गया, जिसमें प्रति वर्ष एक अभ्यर्थी को दाखिला किया जाता था। वर्ष 2015 से, स्नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम जनवरी और जुलाई के दो सत्रों में होता है जिसमें जिपमेर एम.डी./एम.एस. प्रवेश परीक्षा के माध्‍यम से प्रत्‍येक सत्र में दो अभ्‍यर्थियों को दाखिला दिया जाता है। तीन वर्षों के अन्त में एक्‍सइट इग्ज़ैमिनेशन में सफल होने के बाद इन विद्यार्थियों को एम.डी. उपाधि प्रदान की जाती है। वर्ष 2016-17 के दौरान, तीन स्नातकोत्‍तर विद्यार्थियों को पल्मोनरी मेड्सिन में एम.डी की उपाधि प्रदान की गई थी। वर्तमान में, स्नातकोत्‍तर सीटों (एम.डी. पल्मोनरी मेड्सिन) की संख्‍या प्रतिवर्ष 2 से बढ़ाकर प्रतिवर्ष 3 सीट कर दी गई हैं। विभाग में एम.बी.बी.एस. एवं नर्सिंग विद्यार्थियों के लिए व्याख्यान कक्षाएं, मॉड्यूलर शिक्षण और बेडसाइड क्लिन्इकल कक्षाएं भी आयोजित की जाती हैं। विभाग विद्यार्थियों को चिकित्सा अभिलेख तकनीशियन (एम.आर.टी.) और आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन पाठ्यक्रमों में भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

Last Updated :29-Aug-2022