सामान्य जानकारी
भेषजगुण विज्ञान विभाग की शुरूआत सन् 1958 में डॉ. एमिली साविनी, एक फ्रेंच आचार्य ने किया था। उसके बाद से नियमित शिक्षण गतिविधियों के अलावा अनुसंधान गतिविधियों में क्रमिक विकास हुआ है। वर्तमान अनुसंधान गतिविधियाँ नैदानिक परीक्षणों, हीपटोप्रोटेक्टिव हर्बल ड्रग्स के विकास, फॉर्मेकॉक्इनेटिक्स औऱ टॉक्सिकोलॉजी अध्ययनों के अलावा फॉर्मेकोजिनोमिक्स के क्षेत्रों में मॉल्इक्यूलर स्तर पर केन्द्रीत है। आई.एन.एस.ई. आर.एम., फ्रांस के तकनीकी सहयोग से एक अत्याधुनिक फॉर्माकोडिनोमिक्स प्रयोगशाला की स्थापना की गई और इसे एक उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में घोषित किया गया और इसे फॉर्माकॉजिनोमिक्स में उन्नत अनुसंधान की आई.सी.एम.आर. केन्द्र के तौर पर उन्नत किया गया था। सन् 2004 से प्रतिवर्ष फॉर्माकॉजिनोमिक्स में मॉल्इक्यूलर जीवविज्ञान और जैव सूचना विज्ञान के मूलभूत तकनीकों पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन क्रमशः किया जा रहा है। सन् 2008 से सेल कल्चर प्रयोगशाला कार्यशील हुई। सन् 2007 में एक औषधि सूचना केन्द्र की स्थापना की गई थी। विभाग में नवंबर 2010 से, भारत की फॉर्माकोविजिलेन्स कार्यक्रम के तहत प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रिया अनुसंधान केन्द्र (ए.एम.सी.) का कार्य आरंभ हुआ था। इसके अलावा, औषधियों की अनुवीक्षा रोगी देखभाल सेवाओं में की जाती है। भेषजगुण विज्ञान विभाग महत्वपूर्ण दवाएं और उचित उपयोग में प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए डब्ल्यू.एच.ओ. सहयोगी केन्द्र के रूप में नामित किया गया है।
Last Updated :30-Aug-2022