सामान्य जानकारी
विकृति विज्ञान विभाग, जिपमेर की स्थापना के समय से ही आरंभ हुई थी। पिछले कुछ वर्षों में, विभाग सुविकसित स्नातकपूर्व शिक्षण कार्यक्रमों सहित एक बहु-विषयक विभाग के रूप में विकसित हुआ है। गुणवत्ता, कार्य-दक्षता, प्रभावकारिता प्रभावशीलता के साथ-साथ हितधारकों के अनुभव के अनुसार लगातार सुधार के साथ विभाग के कार्यभार में निरंतर वृद्धि हो रही है। विभाग में प्रत्येक सब-स्पेशिऐल्इटि में पुनरीक्षण करनेवाले संकाय सहित सटीक रिपोर्ट प्रदान करने की एक सुदृढ़ प्रणाली है। रोगी देखभाल सेवा के विस्तार के रूप में, विभाग मेडिकल और सर्जिकल ऑनकोलॉडी, पीडिएट्रिक सर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, डर्मेटोलॉजी, सर्जिकल और मेडिकल गैस्ट्रोऐन्ट्रोलॉजी, नैदानिक प्रतिरक्षा विज्ञान, अंतःस्त्राविकी और फेफड़ा केंसर क्लिनिक्स के साथ नियमित, साप्ताहिक/पाक्षिक संकाय बैठकों का आयोजन करता है। यह पुदुच्चेरी और उसके आस-पास के इलकों में कैंसर के निदान के लिए रेफरल सेवा भी प्रदान करता है और साथ ही सर्विकल कैंसर की जाँच के लिए पी.एच.सी. को सामुदायिक सेवाएं भी प्रदान करता है। विभागीय अनुसंधान कार्य को स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत की जाती है और विभिन्न सहकर्मी द्वारा समिक्षित पत्रिकाओं में भी प्रकाशित किया जाता है। पिछले वर्ष की तरह, विभाग के संकायों ने चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सालय सूचना प्रणाली (एच.आई.एस.), अनुसंधान और शैक्षणिक प्रभाग, अभियांत्रिकी प्रभाग और जिपमेर गुणवत्ता परिषद (जे.क्यू.सी.) में सक्रिय भूमिका निभाई है।
चालू वर्ष के दौरान विभाग के कनिष्ठ और वरिष्ठ रेजिडेन्टों और पीएच.डी. शोधार्थियों ने शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया है और विभिन्न स्थानीय और राष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध-प्रत्र प्रस्तुत किए और पुरस्कार प्राप्त किया। दिनांक 20 से 22 नवंबर 2020 तक आयोजित 61 वें हेमाटोकॉन वर्चुअल में, विभाग से 18 पोस्टर और 3 मौखिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। डॉ. सौन्दर्या, अन्तिम वर्षीय स्नातकोत्तर छात्र ने नेशनल कर्नाटक चैप्टर आई.ए.पी.एम. 2020 में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। डॉ. सुजया मजुमदार, हीमटोपैथोलॉजी पी.डी.एफ. छात्र ने सी.एम.सी. वेल्लोर में आयोजित हेमाटोलॉजी पी.जी. सी.एम.ई. में प्रश्नोत्तरी में प्रथम पुरस्कार जीता। विभाग के पी.डी.सी.सी. फेलो. डॉ. सुभाजित हाजरा और हमारे चार स्नातकोत्तर, डॉ. वेंकटेश, डॉ. शिवरंजिनी, डॉ. चान्दनी और डॉ. झांसी ने एम्स, पी.जी.आई. और एन.ई.ई.टी. द्वारा आयोजित स्यूपर स्पेशिऐल्इटि परीक्षाओं को उत्तीर्ण किया।
विभाग ने कोविड-19 महामारी के दौरान निर्बाध नैदानिक सेवाएं प्रदान करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई। जबकि नियमित सेवाएं निर्बाध रूप से चल रही थी, विभाग ने इस परीक्षण की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त डी-डिमर किट्स खरीदी। विभाग के संकाय कोविड टॉस्क-फोर्स में शामिल थे और रेजिडेन्ट्स कोविड ड्यूटी के लिए दल का हिस्सा थे। विभाग के संकाय भी आई.एस.एच.बी.टी. की ओर से कोविड-19 महामारी के दौरान रक्त संबंधी बीमारी के प्रबंधन के लिए एक सर्वसम्मति दस्तावेज का प्रारूप तैयार करने में शामिल थे।
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