सामान्य जानकारी
वर्ष 1980 से सामान्य कायचिकित्सा विभाग, वृक्क विघात/खराब होने के कारण चिकित्सालय में भर्ती हुए रोगियों को हेमोडायलिसिस सेवाएं प्रदान कर रहा था। डॉ. एस. चन्द्रशेखर, आचार्य, कायचिकित्सा (सेवानिवृत्त), डॉ. चिरंजीवी, और डॉ. अल्ताफ बाशा ने डायलिसिस की सेवाओं के संचालन में अहम भूमिका निभाई है। जिपमेर में स्वतंत्र वृक्क विज्ञान विभाग की स्थापना जनवरी 2010 में डॉ. श्रीजित परमेश्वरन, सहायक आचार्य के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के साथ हुआ था। डॉ. पी.एस. प्रियंवदा ने दिनांक 28 जून 2011 को सहायक आचार्य के रूप में विभाग का कार्यभार ग्रहण किया। डॉ. आर.पी. स्वामिनाथन, आचार्य, कायचिकित्सा ने जनवरी 2010 से दिसंबर 2016 तक विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। डॉ. श्रीजित परमेश्वरन ने जनवरी 2017 में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। डॉ. प्रियंवदा पी.एस. ने जनवरी 2020 से विभागाध्यक्षा के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है।
विज़न व मिशन
- विभाग भारत में शैक्षिक वृक्क विज्ञान सेवाओं के लिए एक मॉडल बनना चाहता है।
- गुणवत्ता और सुरक्षा पर जोर देने के साथ साक्ष्य-आधारित, नैतिक, सामाजिक रूप से जागरूक रोगी देखभाल प्रदान करना।
- नवाचारों को तैयार करना जो वृक्क विज्ञान में प्रशिक्षण के लिए एक मॉडल के रूप में सेवा प्रदान करेंगे।
- क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के लिए प्रासंगिक सामाजिक रूप से जिम्मेदार मौलिक शोध में शामिल हों।
लैंडमार्क
- 1 जुलाई 2010 – तीव वर्षीय डिग्री कार्यक्रम बी.एससी. संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान – डायलिसिस प्रौद्योगिकी (बी.एससी. ए.एच.एस. डी.टी.)।
- 3 मार्च 2012 – प्रथम लाइव रिलेटेड किडनी ट्रैन्सप्लान्टेशन सर्जरी।
- 1 अगस्त 2012 – डी.एम. वृक्क विज्ञान पाठ्यक्रम प्रारंभ हुआ।
- 1 जनवरी 2013 – इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के सिस्टर रीनल सेंटर प्रोग्रॉम (एस.आर.सी. प्रोग्रॉम) के तहत वृक्क विज्ञान प्रभाग, कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर, न्यूयॉर्क, यू.एस.ए. के साथ औपचारिक सहयोग स्थापित किया गया।
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के तहत सिस्टर रीनल सेंटर प्रोग्राम
जिपमेर के वृक्क विज्ञान विभाग ने दिनांक 1 जनवरी 2013 से 31 दिसंबर 2017 तक, पाँच वर्षों के लिए, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (आई.एस.एन.) के सिस्टर रीनल सेंटर प्रोग्राम के तहत वृक्क विज्ञान प्रभाग, कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर, न्यूयॉर्क के साथ एक आधिकारिक सहयोग किया था। सहयोग का उद्देश्य रोगी देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाना, आपसी हित की नैदानिक अनुसंधान परियोजनाओं को सुकर बनाना और यह सुनिश्चित करें कि जिपमेर द्वारा प्रदत्त प्रशिक्षण कार्यक्रम उच्च मानकों के हो। सहयोग के अधीन, आई.एस.एन. ने प्रशिक्षण उद्देश्यों, वित्त पोषित सी.एम.ई. कार्यक्रमों, शैक्षिक सामग्री और यात्रा अनुदान इत्यादि के लिए पारस्परिक मुलाकातों को सुकर बनाया है।
- 5 दिसंबर 2013- मृतदाता वृक्क प्रत्यारोपण कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।
- मई 2014 – ग्लॉमरूलर रोग, डायलिसिस एवं वृक्क प्रत्यारोपण क्लिनिक के लिए वृक्क विज्ञान उप-विशिष्ट क्लिनिक प्रारंभ हुआ।
- 30 नवंबर 2016 – जिपमेर आउटपेशेन्ट हेमोडायलिसिस सेन्टर का उद्धाटन।
- 10 – 12 फरवरी 2017 – इण्डियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी साउथर्न चैप्टर (आई.एस.एन.एस.सी.सी.ओ.एन. 2017) का 37वें वार्षिक सम्मेलन को होस्टेड किया गया।
- अगस्त 2017 – सी.आर.आर.टी. सेवाएं शुरु की गई।
- मार्च 2021 – ऑनलाइन हेमोडायफिल्ट्रेशन एवं डबल फिल्ट्रेशन प्लाज़्माफिरेसिस शुरु हुआ।