सामान्य जानकारी
त्वचा व रतिरोगविज्ञान विभाग
डॉ. ए. वेलू द्वारा त्वचाविज्ञान विभाग की स्थापना सन् 1960 में हुआ था, और चार वर्षों के बाद भारत सरकार ने जिपमेर को अपने अधीन में ले लिया। उसके बाद से विभाग विभिन्न त्वचा रोगों पहचानने और उनका इलाज करने की प्रगति में योगदान देने के लिए विभाग ने लगातार प्रगति, विस्तार और विविध गतिविधियों में भाग लिया है। विभाग के प्रारंभ समय से ही निम्न सेवाएं स्थापित कर विभाग का विस्तार किया है और इसकी गतिविधियों में विविधता आई है:
• वर्ष 1964 – कुष्ठरोग क्लिनिक
• वर्ष 1973 – रतिरोग (एस.टी.डी.) क्लिनिक
• वर्ष 1996 – त्वचा शल्यचिकित्सा
• वर्ष 2009 – लेज़र एवं कॉस्मेटिक त्वचाविज्ञान
• वर्ष 2010 – बालचिकित्सा त्वचाविज्ञान क्लिनिक
• वर्ष 2016 – सबस्पेशिएलिटी क्लिनिक
• वर्ष 2019 – एपिडर्मालॉसिस बुल्लोसा क्लिनिक
विभाग उत्कृष्ट नैदानिक सेवा, अनुसंधान और शैक्षणिक उत्कृष्टता का लक्ष्य रखता है। रोगी के जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए उत्तम गुणवत्ता वाली चिकित्सा, शल्यचिकित्सा और कॉस्मेटिक उपचार प्रदान किया जाता है। स्पेशलिटी की मेडिकल और वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढाने के लिए मौलिक तथा नैदानिक दोनों तरह की अनुसंधान गतिविधियों को सक्रिय रूप में निष्पादित की जा रही है। स्वास्थ्य देखभाल सेवा और अनुसंधान के लिए समर्पित त्वचा विशेषज्ञों की संव्यावसायिक क्षमता बढ़ाने के परिणामस्वरूप नैदानिक के साथ-साथ अन्य विद्वतापूर्ण गतिविधियों में रेजिडेन्टों और संकाय के साथ मिलकर काम करने वाले अनुकूल वातावरण में स्नातकोत्तर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
विभागाध्यक्षों ने वर्षों से सभी विभागीय और अंतर्विभागीय गतिविधियों का समन्वय और सहज बनाया है। त्वचा विज्ञान विभाग की स्थापना समय से ही विभाग के विभागाध्यक्षों की सूची निम्नलिखित हैं:
• 1960 – 1968 ए. वेलू- विभाग के संस्थापक
• 1968 – 1969 सर्दारी लाल
• 1970 – 1972 बी.एम.एस. बेदी
• 1972 – 1973 बी.आर. गर्ग
• 1973 – 1982 सर्दारी लाल
• 1982 – 1996 बी.आर. गर्ग
• 1996 – 2013 डी.एम. थाप्पा
• 2013 – 2016 टी.जे. जयशंकर
• 2016 – 2017 डी.एम. थाप्पा
• 2017 – 2020 लक्ष्मिशा चन्द्रशेखर
• 2020 से अब तक रश्मि कुमारी