सामान्य जानकारी
नैदानिक भेषजगुण विज्ञान
नैदानिक भेषजगुण विज्ञान जो वैज्ञानिक अध्ययन का विषय है जो मनुष्यों और औषधों के बीच संबंधों के सभी पहलुओं को शामिल करता है। नैदानिक भेषजगुणविज्ञानी नई औषध के विकास की प्रक्रिया में मार्गदर्शन, फार्माकोविजिलेन्स, फार्माकोएपिडेमियोलॉजी और फार्माकोइकोनामिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। शैक्षणिक, नियामक और चिकित्सीय उद्योग में औषध से संबंधित मुद्दों की दिशा में योगदान देने में इस विषय की प्रमुख भूमिका है।
वर्तमान शिक्षा के साथ-साथ उद्योग की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए बहुत कम नैदानिक भेषजगुणविज्ञानी उपलब्ध हैं। अत: देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए और जिपमेर स्यूपर स्पेशिऐलिटी सेवाओं को उन्नयन में जोड़ने के लिए भेषजगुण विज्ञान विभाग, जिपमेर ने दिनांक 1 अक्टूबर 2009 को नैदानिक भेषजगुण विभाग के एक अलग प्रभाग के रूप में डी.एम. नैदानिक भेषजगुण विभाग पाठ्यक्रम शुरू किया, जिसमें प्रतिवर्ष एक उम्मीदवार को प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर भर्ती की जाती थी। इस पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा डॉक्टरों को आवश्यक स्नातकोत्तर योग्यताएं प्राप्त करने के बाद नैदानिक भेषजगुण विज्ञान में प्रशिक्षित करना है। इस पाठ्यक्रम को मनुष्य में औषधियों के वैज्ञानिक मूल्यांकन में सर्वांगीण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। नैदानिक भेषजगुण विज्ञान विभाग की स्थापना दिनांक 1 जुलाई 2013 को हुई थी।
विभाग के बारे में:
वर्तमान में, विभाग में एक अपर आचार्य, तीन वरिष्ठ रेज़िडेन्ट, एक तकनीकी सहयोगी, दो पी.एचडी. शोधार्थी (एक पूर्णकालिक और एक अंशकालिक), एक एम.टी.एस. और एक डेटा एंट्री ऑपरेटर है। इसमें भारत के फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम के तहत एक ए.डी.आर. निगरानी केंद्र, औषध सूचना केंद्र और पल्मोनरी फन्गशन टेस्ट के साथ नैदानिक अनुसंधान प्रयोगशाला, कार्डियोपल्मोनरी एक्सर्साइज़ परीक्षण और एम्बुलेटरी बी.पी. निगरानी सुविधा है।