जिपमेर के बारे में

जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जिपमेर) की स्थापना मूल रूप से सन् 1823 में फ्रांस सरकार द्वारा 'इकोले डे मेडिसिन डी पांडिचेरी' के रूप में की गयी थी। सन् 1956 में नए मेडिकल कॉलेज की नींव रखी गई और सन् 1964 में अस्पताल का उद्घाटन किया गया।

वर्ष 2008 में जिपमेर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय महत्व की संस्था बनी । इस संस्था की स्थापना स्वास्थ्य के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान और रोगियों की देखभाल के लिए की गयी। जिपमेर 192 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। जिपमेर संस्थान में एक प्रशासनिक ब्लॉक, एक शैक्षणिक केंद्र, एक नर्सिंग कालेज, सात अस्पताल ब्लॉक, सात गौण सेवा भवन और चार आवासीय परिसर हैं। 12 प्रकार के चिकित्सा, नर्सिंग और संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान पाठ्यक्रमों के सभी विषयों को कवर करते हुए स्वास्थ संबंधी बुनियादी प्रशिक्षण से लेकर अतिविशिष्‍ट प्रशिक्षण तक यहां आयोजित किए जाते हैं।  प्रतिदिन 8000 मरीजों के हिसाब से जिपमेर में सालाना 22 लाख मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं । अस्पताल के विभिन्न भवनों में कुल बिस्तरों की संख्या 2044 हैं।

जिपमेर देश के उन कुछ संस्थानों में से एक है जहाँ स्नातक से लेकर अतिविशिष्‍टता व उप विशिष्टता तक का शिक्षण प्रदान किया जाता है, लीक से हटकर अनुसंधान आयोजित किए जाते हैं और सर्वोच्च श्रेणी की विशेष देखभाल प्रदान की जाती है जो जिपमेर को एक विशिष्ट स्तर के केन्द्र के रूप में स्थापित करता है। गुणवत्ता और सुरक्षा को कायम रखते हुए मुफ्त में विशिष्ट स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाले मॉडलों में जिपमेर देश का एक अनूठा मॉडल कहा जा सकता है। जब दुनिया के अधिकतर विकसित देश अत्यधिक लागत की वजह से उत्तम दर्जे की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए संघर्षरत हैं, जिपमेर सर्वोत्तम इलाज मुहैया कराने में कामयाब हुआ है। जिपमेर देश के पाँच सर्वोच्च चिकित्सा संस्थानों में अपना स्थान बनाए हुए है। पिछले दो वर्षों में मौलिक अनुसंधान पर इसके रुझान के कारण शीघ्र ही जिपमेर की गिनती भारत में चिकित्सा अनुसंधान के अग्रणी संस्थानों में की जाएगी। जिपमेर नए कैंपस के रूप में विस्तार की ओर अग्रसर हैं। जैसे जिपमेर कारैक्‍काल, यानम में जिपमेर आउटरीच सेंटर जल्द ही ओपीडी ब्लॉक और सुपरस्पेशलिटी एक्सटेन्शन ब्लॉक को चालू करने के अलावा, इस अवधि के दौरान पुदुच्‍चेरी के दूसरे परिसर में  अंग प्रत्यारोपण संस्थान और उन्नत आघात और पुनर्वास संस्थान के लिए के लिए अवधारणात्मक योजनाएं शुरू की गईं।